Monday, March 30, 2009

KUCHCH CHUNAVI DOHE

अनुभूति में श्यामल सुमन की रचनाएँ -

नए दोहे
नेता पुराण

कविताओं में-
आत्मबोध
इंसानियत
एहसास
कसक
ज़िंदगी
द्वंद्व
दर्पण
फ़ितरत
संवाद
सारांश
सिफ़र का सफ़र

दोहों में-
दोहों में व्यंग्य
नेता-पुराण
चली सियासत की हवा नेताओं में जोश
कुछ अबतक बेहोश हैं शेष यहाँ मदहोश

दल सारे दलदल हुए नेता करे बबाल
किस दल में अब कौन है पूछे लोग सवाल

मुझ पे गर इल्जाम तो दो पत्नी को चांस
हार गए तो कुछ नहीं जीते तो रोमांस

जनसेवक राजा हुए रोया सकल समाज
कैद में उनके चँदनी, कोयल की आवाज

नेता और कुदाल की नीति-रीति है एक
समता खुरपी सी नहीं वैसा कहाँ विवेक

जहाँ पे कल थी झोपड़ी देखो महल विशाल
घर तक जाती रेल भी नेता करे कमाल

दग्ध हृदय पर श्वेत-वस्त्र चेहरे पे मुस्कान
नेता कहीं न बेच दे सारा हिन्दुस्तान

सच मानें और जाँच लें नेता के गुण चार
बड़बोला, झूठा, निडर, पतितों के सरदार

पाँच बरस के बाद ही नेता आये गाँव
नहीं मिलेगा वोट अब लौटो उल्टे पाँव

जगी चेतना लोग में लिया इन्हें पहचान
गले सुमन का हार था हार गए श्रीमान
३० मार्च २००९


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